Now you can Subscribe using RSS

Submit your Email

Monday 30 May 2016

लालच बुरी बला है।

Unknown
technmotivate


कविरामपुर में राजू नाम का एक मछुआरा रहता था।

प्रत्येक दिन तालाब जाकर मछली मारना और उसे बाज़ार में बेचना ही राजू का काम था।

मछली बेचने से जो पैसे मिलते उसी से अपना और अपनी पत्नी का पेट पालता था।

एक दिन जब राजू मछली मारने के लिए जाल फैलाया तो छोटी सी सुनहरी मछली जाल में फंसी।

मछली को जाल से निकालने के लिए जैसे ही राजू ने हाथ बढ़ाया , मछली बहुत ही विनम्रतापूर्वक बोली  मै तो आकार में बहुत ही छोटी हूँ मुझे बेचकर तुम्हे ज्यादा पैसे भी नही मिलेंगे।
अच्छा होगा यदि तुम मुझसे मित्रता कर लो।

राजू मछली के बात से बहुत प्रभावित हुआ, और उसने दोस्ती का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

ये भी पढ़े    जैसे को तैसा


अब रोज दोनों घंटो आपस में बातें करते।

एक शाम मछुहारे की पत्नी ने राजू से पूछा  कि तुम कुछ दिन से रोज देर से क्यों आते हो?

इस पर राजू ने मछली वाली बात अपनी पत्नी को बता दिया।

राजू की पत्नी बोली तुम सचमुच मुर्ख हो।वह कोई साधारण मछली नहीं है।वह मछली के रूप में कोई परी होगी!

तुम कल उससे हमारे झोपड़ी के  जगह कोई अच्छा सा महल बनाने के लिये कहना।

अगले दिन जब राजू तालाब के पास पहुचा तो मछली उसे परेशान देख कर बोली क्या हुआ मित्र कोई परेशानी है ,क्या?

राजू थोड़ा संकोच के साथ बोला ,मैं और मेरी पत्नी एक छोटी सी झोपड़ी में रहते है मेरी पत्नी ने पूछा है क्या तुम हमारे लिए महल बना सकती हो।
मछली ने कहा तुम चिंता मत करो दोस्त ,घर जाओ अपने लिए महल पाओगे।

राजू जब घर आता है तो अपने झोपड़ी की जगह बहुत ही खूबसूरत महल पाता है।

लेकिन उसकी पत्नी इससे भी संतुष्ट नही थी।

उसने दुबारा अपने पति से कहा कि हम रूखी-सूखी खाते है ,अच्छे अच्छे पकवान देने के लिए मछली से कहो।

अगले दिन मछुआरा ,मछली से अपनी पत्नी की इच्छा जाहिर की,तो मछली ने इस इच्छा को भी पूरा कर दी।

इसी तरह मछुहारे की पत्नी रोज कोई न कोई demond करती कभी नौकर-चाकर की तो कभी आस-पास हरे भरे पेड़ पौधों की, मछली हर demond को पूरी कर देती।

एक दिन तो हद ही हो गयी जब राजू की पत्नी ने कहा कि क्या सूरज ,चाँद ,तारे मेरी आज्ञा माने ऐसा नही हो सकता?

जब इस wish के बारे में मछुआरे ने मछली को बताया तब मछली गुस्से से बोली,ओ मुर्ख व्यक्ति तुम्हारी पत्नी लालची है,और लालच करने वाले की इच्छा कभी भी समाप्त नही होती।

जाओ तुम लोग फिर से झोपड़ी में ही रहो।

जब राजू घर वापस आया तो उसकी पत्नी पुराने  टूटी फूटी झोपड़ी में रो रही थी।

सही कहा गया है-
"लालच बुरी बला है"


Related Post - विश्वास
                   



Unknown / Author & Editor

Has laoreet percipitur ad. Vide interesset in mei, no his legimus verterem. Et nostrum imperdiet appellantur usu, mnesarchum referrentur id vim.

1 comment:

Post पढ़ने के बाद अपना प्रतिक्रिया comment के माध्यम से जरूर दें।इससे हमे आप की सहायता करने में मदद मिलेगी ।
धन्यवाद।

Latest Tips And Tricks

Coprights @ 2017, www.5ty5.com